बीतते लम्हों को गुनगुना सकूँ
वक़्त बेवक़्त जश्न मना सकूँ
कुछ यूँ जीने की राह दे दो
कुछ नहीं तो थोड़े एहसास दे दो ...
थक गयी हूँ गम उधार ले लेकर
खुशियों कि थाली तुझे बेवजह दे देकर
चोर सी नजरो से खुशनुमा लम्हों को ताककर
उम्मीदभरी लोगों की जिंदगी में झांककर
कुछ नहीं तो थोड़े जज्बात दे दो
एक अदद मुस्कुराते हालात दे दो ...
मन के गुबार को निकलने की कोशिश बहुत की
टूटे सिलसिलों को गुमराह करने की साजिश बहुत की
तू दूर खड़ा मुझपे मुस्कुराता होगा, ये सोचकर
अपने बेगुनाह हालातों से बेवजह रंजिश बहुत की
कुछ नहीं तो थोड़े बेधड़क अंदाज दे दो
जी सकूँ थोडा मुस्कुरा के वो बात दे दो ....
Written By Chanda
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