अगर सितम करने का हक़ मुझे होता
तो लोगो कि चुभन न देखती मैं
बस उनकी अच्छाइयाँ देखती और,
उसे ही रोने की वजह बना देती.....
तुम पूछोगे कि क्या मिलता मुझे
वो सुकून, या एक चुभन का दर्द
तो मैं बस इतना बताना चाहती हूँ
ये इंसानियत है, जो ख्वाब देना चाहती है
एक इंसान है जो दर्द देना जानता है
और मैं एक पत्थर हूँ बिना एहसासो की
जो न तो खुशी देती है, न गम लेती है
बस एक वार करती है और, चीजें बिखर जाती है....
सच में, अगर सितम करने का हक़ मुझे होता.....
Koi To Puchhe Ki Dil Kyu Roya
Written by Chanda
तो लोगो कि चुभन न देखती मैं
बस उनकी अच्छाइयाँ देखती और,
उसे ही रोने की वजह बना देती.....
तुम पूछोगे कि क्या मिलता मुझे
वो सुकून, या एक चुभन का दर्द
तो मैं बस इतना बताना चाहती हूँ
ये इंसानियत है, जो ख्वाब देना चाहती है
एक इंसान है जो दर्द देना जानता है
और मैं एक पत्थर हूँ बिना एहसासो की
जो न तो खुशी देती है, न गम लेती है
बस एक वार करती है और, चीजें बिखर जाती है....
सच में, अगर सितम करने का हक़ मुझे होता.....
Koi To Puchhe Ki Dil Kyu Roya
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