aasma

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Sunday, January 5, 2014

इश्क़ है

इश्क़ है, इश्क़ पे फनाह होने की  वजह नही
दिल है, दिल में सुकून के लिए जगह नही
दुआ है, पर मांगने की कोई खास सबब नही
जिंदगी है, पर जीने की कोई जिरह नही

उम्र है, हरपल कुछ खोने का एहसास कराती हुई
वक़्त है, गुजरते पलों  में अपना वजूद जताती हुई
नाउम्मीदी है, मेरे झरोखों पे अपनी टेक लगाती हुई
आंसू है, मेरे चेहरे पे भावों के बाण चलाती हुई

दोस्त हैं, खुशियों में साथ निभाते हुए
सपने हैं, मेरे दामन से अपना पीछा छुड़ाते हुए
नींद है, कहीं दूर चुप्पी लगाये हुए
ख़ामोशी है, मेरे दर्द को सीने से लिपटाये हुए


अस्तित्व है, पर उससे बहुत दुरी है
मैं वजह हूँ जिसकी जिद अभी अधूरी है
कोई उम्मीद है शायद अब तक कहीं दूर
जो वजूद है, मेरे जीने के लिए जरुरी है।

Written by Chanda

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